क्या आप जानते है आसनसोल से तृणमूल के उमीदवार शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीतिक सफर

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Harmeet
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क्या आप जानते है आसनसोल से तृणमूल के उमीदवार शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीतिक सफर

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: मशहूर एक्टर और वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके शत्रुघ्न सिन्हा इन दिनों अपने राजनीतिक गतिविधियों को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को आसनसोल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। गायक बाबुल सुप्रियो पिछले साल अपनी लोकसभा सीट आसनसोल से इस्तीफा दे कर तृणमूल पार्टी में शामिल हो गए थे इसलिए उनकी सीट खाली हो जाने के चलते यहां उपचुनाव की घोषणा की गई है।

बिहारी बाबू 2019 के संसदीय चुनावों से पहले कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में बनर्जी के विशाल भाजपा विरोधी सम्मेलन में शामिल हुए थे, लेकिन उस वक्त वह भाजपा सांसद थे। हाल ही में वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। इससे पहले शॉटगन ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया था।

आप को बता दे जहां दूसरे एक्टर्स अपने करियर के आखिर में राजनीति में आने की सोचते हैं, वहीं शत्रुघ्न सिन्हा ने करियर की शुरुआती दिनों में ही राजनीति में आने का मन बना लिया था। 1992 में बीजेपी में शामिल होने से पहले शत्रुघ्न सिन्हा राजनीतिक कार्यक्रमों में शिरकत करने लगे थे। सिन्हा का राजनीतिक सफर साल 1992 में शुरू हुआ और उसी साल वे नई दिल्ली सीट से कांग्रेस के राजेश खन्ना के खिलाफ खड़े हुए हालांकि, शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव हार गए लेकिन पार्टी में उनका कद बढ़ता गया।

शत्रुघ्न सिन्हा 1996-2008 तक दो बार राज्यसभा सांसद रहे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2003 में जब मंत्रिमंडल विस्तार किया, तो शत्रुघ्न सिन्हा को स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री और जहाजरानी मंत्री बनाया। साल 2009 में पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा ने पहली बार चुनाव जीत। साल 2014 में भी शत्रुघ्न सिन्हा ने 55 फीसदी वोट पाकर जीत दर्ज की, लेकिन मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से वह बीजेपी से नाराज हो गए और पार्टी के खिलाफ लगातार बयानबाजी करते रहे। हलाकि तृणमूल में शामिल होने के बाद बिहारी बाबू कहते है “लोकसभा उपचुनाव में आसनसोल से ममता बनर्जी ने मुझे खुद तृणमूल उम्मीदवार घोषित किया है, यह मेरे लिए गर्व की बात है। वह जांची परखी और सफल नेत्री हैं जिनके हाथ में देश का भविष्य है। आज की सरकार विभाजनकारी राजनीति करती है जिसके विरुद्ध बनर्जी खड़ी हो सकती हैं।”