स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: कॉलेजों में हिजाब के इस्तेमाल को लेकर चल रही बहस अलग-अलग तरह के तर्क-वितर्क में डूब गई है। इसके पक्ष में तर्क देने वालों ने मुख्य रूप से धार्मिक पहचान व्यक्त करने की स्वतंत्रता के साथ इसकी तुलना की है, वहीं कुछ अन्य ने कहा है कि हिजाब पहनने वालों को संस्थान में प्रवेश से वंचित करना उनके शिक्षा पाने के अधिकार का उल्लंघन है, वहीं एक मत ये भी आ रहा है कि किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी महिला को यह बताएं कि उसे क्या पहनना चाहिए।
हिजाब के आलोचकों ने इस पर प्रतिबंध लगाने के दो कारण बताए हैं – एक तो यह कि ये पुरुषवाद का प्रतीक है, और दूसरा यह कि ये मुसलमानों को एकतरफा रियायत देता है. लेकिन, ये सभी तर्क मूल मुद्दे से चूक जाते हैं जो ये है कि – क्या किसी संस्था के नियमों की सीमा को लांघ कर धार्मिक अधिकारों को लागू किया जा सकता है?