एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार ने फर्जी पासपोर्ट बनाने के सम्बन्ध में एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी अपराध के बारे में सूचना मिलने के तुरंत बाद प्राथमिकी (FIR) दर्ज करना आवश्यक नहीं है, ताकि जांच वैध हो सके जो जो चर्चा का विषय बनी हुई है। एक लॉ वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा कि, "जब भी किसी पुलिस अधिकारी को फोन पर या किसी अन्य तरीके से किसी अपराध की सूचना मिलती है तो तुरंत प्राथमिकी दर्ज करना आवश्यक नहीं है। बल्कि यह पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि वह अपराध को होने से रोकने के लिए तत्काल उपाय करे। यदि उसकी उपस्थिति में अपराध किया जाता है तो सीआरपीसी की धारा 41 के अनुसार कार्रवाई करने के लिए बाद में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।"