बकरीद का इतिहास, कैसे शुरू हुआ कुर्बानी

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Harmeet
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बकरीद का इतिहास, कैसे शुरू हुआ कुर्बानी

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: इस साल 10 जुलाई यानि आज रविवार को इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बकरीद का पर्व त्याग और कुर्बानी के तौर पर मनाया जाता है। बकरीद को ईद-उल-अजहा नाम से भी जानते हैं।



बकरीद पर्व का इतिहास यह है : इस्लाम की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहीम अल्लाह के पैगंबर थे। एक बार अल्लाह ने उनका इम्तिहान लेने के लिए ,उनसे ख्वाब के माध्यम से कहा कि वह सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दे दें। ऐसे में हजरत इब्राहिम अपने इकलौते बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे, क्योंकि वहीं एक चीज थी जिसे वह सबसे ज्यादा प्यार करते थे। ऐसे में जब हज़रत इब्राहीम अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला और उसने उन्हें ऐसा करने से रोकते हुए कहा कि बेटे की कुर्बानी कौन देता है, इसकी जगह आप चाहे तो किसी जानवर को कुर्बानी दे सकते हैं। शैतान की इस बात को हज़रत इब्राहीम को सही समझा। लेकिन वह अपने अल्लाह से झूठ नहीं बोलना चाहते थे और न ही उनके हुक्म की नाफरमानी करना चाहते थे। इसलिए वे बेटे को लेकर आगे बढ़ गए। बेटे की कुर्बानी देते समय उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली ताकि बेटे का मोह अल्लाह की मांग को पूरी करने के बीच में बाधा न बने। कुर्बानी के बाद जब उन्होंने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो देखकर हैरान रह गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हो गया है। उसके बाद से ही जानवरों की कुर्बानी देने का चलन शुरू हुआ।