एएनएम न्यूज़,ब्यूरो : जम्मू-कश्मीर में डीजी जेल हेमंत कुमार लोहिया की हत्या के बाद घाटी एक बार फिर दहल गई है। लोहिया की हत्या इतनी बेरहमी से की गई कि उनके शव को देखने वालों की भी एक बार रूह कांप गई। सूत्रों के मुताबिक इस नृशंस हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने ली है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में किसी भी आतंकी एंगल से इनकार किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये टीआरएफ क्या है? ये नया आतंकी संगठन कब बना? आखिर इसका मकसद क्या है? इसके आका कौन हैं?
द रेजिस्टेंस फ्रंट की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। पांच अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया। टीआरएफ के उदय की असल कहानी पाकिस्तान से शुरू होती है। घाटी में बढ़ती आतंकी घटनाओं के साथ-साथ पाकिस्तान का छुपा चेहरा दुनिया के सामने आने लगा था। धीरे-धीरे पाकिस्तान पर अपने यहां पनप रहे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता जा रहा था और इस वजह से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए तैयबा ने मिलककर नए आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' की नींव रखी। बीते दिनों टीआरएफ कई लोगों की हिटलिस्ट भी जारी कर चुका है। कई भाजपा नेता, सैन्य व पुलिस अधिकारी भी इस आतंकी संगठन के टारगेट पर रहते हैं।
जम्मू-कश्मीर में डीजी जेल हेमंत कुमार लोहिया की हत्या बेरहमी से की गई, कांच की बोतल से पहले उनका गला रेता गया, शरीर पर कई जगह वार किया गया। इसके बाद शव को जलाने की भी कोशिश की गई।