जानिए भाई दूज की अलग-अलग परंपराओं के बारे में

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जानिए भाई दूज की अलग-अलग परंपराओं के बारे में

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: धनतेरस के पांचवें दिन यम द्वितीया, जिसे हम भाई दूज के नाम से जानते हैं, मनाई जाती है। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। भाई दूज पर भाई अपनी विवाहित बहनों के घर तिलक करवाने जाते हैं। भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में भाई दूज का त्योहार विशेष महत्व रखता है। अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। आइए जानते हैं विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज पर्व का परंपराएं। ​

पश्चिम बंगाल: यहां पर भाई दूज को भाई फोटा पर्व के नाम से जानते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए उपवास रखतीं हैं और भाई को तिलक लगाने के बाद ही भोजन ग्रहण करती है। पश्चिम बंगाल में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भाई अपनी बहनों से तिलक करवाने के बाद उन्हें अनेकों प्रकार के उपहार देते हैं।

महाराष्ट्र: यहां पर भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से जाना जाता है। मराठी संस्कृति में भाई को आदर पूर्वक भाऊ कहकर सम्बोधित किया जाता है। इस दिनबहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक कर उनकी लम्बी आयु और अच्छे स्वाथ्य की कामना करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं।

उत्तर प्रदेश: यहां पर बहनें अपने भाई का तिलक कर उन्हें आब और शक्कर के बताशे खिलातीं हैं। उत्तर प्रदेश में बहनें अपने भाई को तिलक करके उन्हें सूखा नारियल का गोला और आब देती हैं। यहां पर आब देने की परंपरा बहुत पुरानी है।

बिहार: बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है। इस दिन यहां पर बहनें अपने भाइयों को डांटती हैं और उन्हें बहुत बुरा-भला बोलतीं है और फिर उनसे माफ़ी मांगतीं हैं। इसके बाद बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर हाथ में मौली बांधतीं हैं और मिठाई खिलाती हैं।

नेपाल: यहां पर भाई दूज को तिहार के नाम से जाना जाता है। तिहार का मतलब नेपाल में टिका या तिलक होता है। यहां भाई दूज को भाई टिका भी बोला जाता है। बहनें इस दिन भाइयों के माथे पर सात अलग-अलग रंगों से तिलक लगाती हैं और उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं।