सरकार मुझसे डरती है इसलिये पुलिस को आगे करती - मेधा पाटकर

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सरकार मुझसे डरती है इसलिये पुलिस को आगे करती - मेधा पाटकर

राहुल तिवारी, एएनएम न्यूज, चित्तरंजन: चित्तरंजन रेलवे फैक्ट्री के निजीकरण के विरोध एंव केन्द्र की एनपीएस योजना को निरस्त करने की मांग को लेकर सीएलडब्लू संग्रामी श्रमिक यूनियन के आव्हान पर सामाजिक कार्यकर्ता सह सामाज सुधारक मेधा पाटकर कि उपस्थित में गुरुवार रूपनारायणपुर में पथ सभा के साथ रूपनारायणपुर से चित्तरंजन रेल कारखाना जीएम कार्यालय तक पथ रैली का आवाहन किया। रैली जैसे ही चिरेका के गेट नम्बर 3 के पास पहुँची, चिरेका प्रशासन भारी संख्या में रेल पुलिस बल कि तैनाती कर गेट नंबर 3 पर ही प्रदर्शनकारियों को रोक दिया एंव केवल तीन लोगों को ही प्रवेश की अनुमति दी। जिसके बाद मेधा पाटकर सड़क पर बैठ गई एंव कम से कम 5 लोगो की प्रवेश की मांग करते हुए केंद्र सरकार एंव चिरेका प्रबंधन के खिलाफ नारे बाजी की। वही चिरेका के डीजीएम ने स्वंय प्रदर्शनकारियों से बात की बाद में प्रदर्शनकारियों में से मेधा पाटकर के नेतृत्व में 5 लोगो चिरेका जीएम के समक्ष अपनी मांगो को लेकर पहुँचे एंव अपनी मांगो के बारे में बताया और ज्ञापन सौंपा। बता दे कि इस दौरान करीब 3 घंटो तक चिरेका 3 नंबर गेट बंद रहा जिससे आमलोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। स्कूली बच्चों सहित क्षेत्र के लोगो को पैदल ही गेट को पार करना पड़ा।​

मेधा पाटकर ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश में रेलवे अधिकारी उन्हें रोक रहे है अंदर जाने से। मौजूदा केंद्र की सरकार पूंजीपतियों की सरकार है जो हम से इतना डरी हुई है कि हमे चित्तरंजन में घुसने भी नही दे रही है। संविधान द्वरा दिये गये हमारे अधिकारों का हनन कर रही है सरकार इसलिये देश के साथ साथ हमे संविधान को भी बचना है। केंद्र सरकार जितनी शक्तियों का उपयोग कर ले पर रेलवे कारखानों का निजीकरण नहीं होने देंगे। केंद्रीय सरकार गरीबों और मजदूरों का शोषण कर रही है। बड़े व्यापारी अरबों रुपये लेकर देश से भाग रहे हैं। और बड़े बड़े उधोगपतियों को कानून बना कर कर्ज माफ कर रही है। इससे भी पेट ना भड़ने पर केंद्र सरकार सरकारी उपक्रमों को अडानी, अम्बानी जैसे उधोगपतियों को कौड़ियों के भाव मे बेच कर उन्हें लाखो कड़ोर का लाभ दे रही है। रेल को भी निजीकरण कर उसमें गरीबों को बैठना बंद करवा देगी। आज रेलवे को निजीकरण की तरफ लगातार सरकार बढ़ रही है। चिरेका में कार्यरत हजारों श्रमिकों को अन्य जगह पर स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है। हमें पुलिस का भय नही है। हम किसी भी हाल में अन्यान्य के खिलाफ लड़ेंगे और जीतेंगे। किसी भी परिस्थिति में हम देश को निजीकरण की भेंट नही चढ़ने देंगे। प्रधानमंत्री लुभावने वादे कर गरीबों के सपनों से खेल रहे है। आज गरीब बेरोजगारी से परेशान है वैसे में चिरेका एंव अन्य सरकारी उपक्रमों के बंद होने से लाखों लोग बेरोजगार होंगे इसलिए हमें इस पूंजीपति सरकार के खिलाफ आवाज उठाना होगा। किसानों के विरुद्ध भी सरकार ने कानून लाया जिसके खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन चला मजबूरन सरकार ने तीनों कानून को वापस लिया। ये सरकार सिर्फ अपने बड़े में सोच रही है और पूंजीवादनीति पर चल रही है। इसलिये इस सरकार का विरिध बहुत जरूरी है।