टोनी आलम, एएनएम न्यूज़: कहते हैं हम अपने पूर्वजों के अंश हैं। भले हमारे पुर्वज हमें छोड़ कर चले जाएं लेकिन उनका ऋण हम मरते दम तक नही चुका सकते। यही वजह है कि सनातन धर्म में अपने पितरों को जल चढ़ाने का रिवाज है। दरअसल ऐसा करके हम अपने पूर्वजों को धन्यवाद देते है कि उनके किए गए कर्मो के कारण आज हमें वह सब नसीब हुआ जो आज हमारे पास है। महालया का दिन इसलिए चुना गया है क्योंकि इसदिन पितृपक्ष का समापन और देवीपक्ष की शुरुआत होती है। कहा जा सकता है कि सनातन धर्म की काफी पुरानी परंपरा है तर्पण। महालया के दिन सनातन धर्म को मानने वाले अपने दिवंगत पितरों की आत्मा की शांति के लिए नदी या जलाशयों में जाकर अपने पितरों को जल अर्पण करते हैं इसका काफी महत्व है। माना जाता है ऐसा करके हम अपने पितरों का कर्ज चुकाते हैं। आज भी रानीगंज में दामोदर के घाट पर सुबह से ही लोगों का हुजूम उमड़ा जो अपने पितरों को जल अर्पण करने आए थे। पुरे विधि विधान के साथ इन लोगों ने अपने पितरों को जल अर्पण किया। आज तर्पण को लेकर पुलिस प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे।