एएनएम न्यूज़, ब्यूरो: जाली नोट के पर अंकुश लगाने के मकसद और आम जनता को अच्छी गुणवत्ता के नोट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने साल 1988 में क्लीन नोट पॉलिसी लेकर आई थी। सरकार के इस कदम का सकारात्मक असर भी पड़ा था। इस पॉलिसी की वजह से लोगों को पुराने नोटों को बैंकों में जमा कराकर उसके एवज में नए नोट लेने के लिए बाध्य होना पड़ा था जिससे अर्थव्यवस्था पर भी अच्छा असर पड़ा था। लेकिन आर्थिक जानकार बताते हैं कि इस फैसले से बाजार में उस वक्त नकदी का संकट खड़ा हो गया था, जिसकी वजह से रियल एस्टेट, रिटेल और टूरिज्म जैसे सेक्टर काफी प्रभावित हुए थे। इसके अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ा था लेकिन जाली नोटों पर इससे काफी हद तक अंकुश लगा था, जिसे ध्यान में रखते हुए इसकी काफी सराहना की जाती है।
आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 27 के तहत किसी भी व्यक्ति को नोटों के साथ किसी भी प्रकार की छेड़खानी करने की इजाजत नहीं है। आर्थिक जानकार बताते हुए डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के मकसद ये पॉलिसी लाई गई थी। आगामी 30 सितंबर तक किसी भी स्थानीय बैंक में दो हजार के नोट को वापस कर इसके एवज में कोई दूसरा नोट प्राप्त कर सकते हैं। वही फिलहाल आप इससे सभी आर्थिक लेन-देन कर सकते हैं जैसा कि आप अभी तक करते आ रहे हैं।
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