स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: अनियोजित गर्भधारण को रोकने के लिए बाजार में उपलब्ध गर्भनिरोधक दवाओं को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जाता। इस तरह की दवाओं का साइड इफेक्ट भी होता है। अब ‘इम्प्लांट’ पश्चिम बंगाल में भी उपलब्ध है पर, फिलहाल कुछ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ही इसका ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है। इसे तीन साल तक बांह में त्वचा के नीचे रखा जा सकता है। यह राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत पश्चिम बंगाल समेत देश के 10 राज्यों में चरणबद्ध तरीके से लॉन्च किया गया है। आम तौर पर 15 से 40 वर्ष की उम्र वाली महिलाएं इंप्लांट का उपयोग कर सकती हैं।
इम्प्लांट के इस्तेमाल से बच्चे को स्तनपान कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी। अधिकारी ने बताया के इस उपकरण को त्वचा के नीचे लगाते ही यह सक्रिय हो जायेगा। इसे इस्तेमाल करने से गर्भाशय से अंडों का निकलना बंद हो जायेगा और गर्भाशय द्वार फिसलन भरा नहीं होगा, जिससे शुक्राणु प्रवेश नहीं कर पायेंगे। वहीं, इम्प्लांट को हटा दिये जाने के बाद शरीर अपनी पिछली स्थिति में वापस आ जायेगा। बता दे मशीन के निकालने के एक माह के अंदर महिला गर्भवती हो सकती है।