एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : भारत (India) देश में आजादी से पहले ब्रिटिश (British) सरकार ने आम जनता को शिक्षित करने को प्राथमिकता नहीं दी थी। यह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल नेताओं पर निर्भर था कि वे इन चुनौतियों से निपटें और भारत को एक आधुनिक, शिक्षित और विकसित राष्ट्र बनाने का रास्ता कैसे निकालें।
1947 में स्वतंत्र (independent) होने के बाद से भारत ने शिक्षा में तेजी से प्रगति की है, चाहे वह प्राथमिक शिक्षा (primary education) हो, स्कूलों और विश्वविद्यालयों का विकास हो या अन्य शिक्षा में हो। स्वतंत्रता के समय स्त्री शिक्षा को अधिक महत्व नहीं दिया जाता था। देश में अधिकांश लोग अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने में बेहद अनिच्छुक थे। हालाँकि, स्थिति बदल गई है। सूत्रों के मुताबिक अभी के आंकड़ों के अनुसार, स्कूली शिक्षा में अब लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। इसके साथ ही भारत में साक्षरता दर 1951 में 18.3 प्रतिशत से बढ़कर 2018 में 74.4 प्रतिशत हो गई है और इस अवधि में महिला साक्षरता में सबसे उल्लेखनीय बदलाव देखा गया, जो इसी अवधि में 8.9 प्रतिशत से बढ़कर 65.8 प्रतिशत हो गया।
अभी कुछ सालो से स्वतंत्र भारत की प्रत्येक सरकार ने शैक्षिक सुविधाओं को आम जनता के लिए अधिक उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित किया है। आजादी के समय स्कूलों की संख्या 1.4 लाख से बढ़कर 2020-21 में 15 लाख हो गई है। कॉलेजों (college) की संख्या में भी भारी वृद्धि देखी गई है। 1950-51 में 578 कॉलेजों से, भारत में अब 42,343 कॉलेज हैं और इसी अवधि में विश्वविद्यालयों (university) की संख्या 27 से बढ़कर 1,043 हो गई।
एक महत्वपूर्ण क्षेत्र जिसमें वृद्धि देखी गई है वह है चिकित्सा शिक्षा (medical education)। पिछले 70 वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 21 गुना से अधिक बढ़ गई है। 1951 में 28 मेडिकल कॉलेजों से बढ़कर यह संख्या 612 कॉलेजों तक पहुंच गई है।