आज़ादी के पहले से लेकर अब तक महिलाओं की स्थिति

1857-1920 से ले कर बाल विवाह , बहुविवाह , दहेज प्रथा , विधवा विवाह निषेध एवं सती प्रथा इत्यादि कुरीतियाँ समाज में और  भी  अधिक पकड़  बनाए हुई  थी। ब्रिटिश शासन काल में भारतीय (India) नारियों की राजनैतिक (Political) स्थिति ठीक नही थी।

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Kalyani Mandal
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: स्वतंत्रता से पहले का समय ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का समय था। 1857-1920 से ले कर बाल विवाह , बहुविवाह , दहेज प्रथा , विधवा विवाह निषेध एवं सती प्रथा इत्यादि कुरीतियाँ समाज में और  भी  अधिक पकड़  बनाए हुई  थी। ब्रिटिश शासन काल में भारतीय (India) नारियों की राजनैतिक (Political) स्थिति ठीक नही थी। 1920 पूर्व उसे बोट देने का अधिकार नही था और न ही वह किसी पद के उम्मीदवार हो सकती थी। ब्रिटिश काल  में आर्थिक  क्षेत्र  में सबसे अधिक  महिला निर्योग्यता देखने को मिलती है। भारतीय इतिहास में महिलाएँ अपने जीवन में दो चीज़ों से गुज़री हैं, एक है "अधीनता और मुक्ति "। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार पुरुषों के लिए एक अनुष्ठान रहा है ,सदियों से यह अन्यायपूर्ण व्यवहार चल रहा है। समय के साथ, जब महिलाओं को सशक्त बनाने की बात आई तो भारतीय समाज ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।

 भारतीय महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संविधान (Constitution) ने महिलाओं को समान अधिकार दिए हैं। आधुनिक भारत की महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। आज के इस आधुनिक युग में नारी पुरुष से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। चाहे वह राजनीति का क्षेत्र हो या सामाजिक या व्यवसायिक या वैज्ञानिक या कला का। आज़ादी की बाद हमारे देश की ऐसी कई महान नारियां है जिन्होंने आसमान की बुलंदियों को छुआ है और देश का नाम रोशन किया है।