एएनएम न्यूज, ब्यूरो : पाकिस्तान से आए सामान्य जाति के सिख कारोबारी ने खुद और बेटी-बेटों के अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाणपत्र जारी कराकर एक ओर जहां लाभ प्राप्त किए, वहीं हरियाणा के रिश्तेदारों के खिलाफ भी एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा कायम करा दिया। यह मामला उत्तरप्रदेश के सहारनपुर की है, जब मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में पहुंचा तो डीएम अखिलेश सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने जांच की। जांच में प्रमाणपत्र फर्जी मिले। इसके बाद कारोबारी, उनकी बेटी-बेटों और लेखपाल समेत दस के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
बात है कि आयोग के आदेश पर डीएम अखिलेश सिंह की अध्यक्षता में एक जिलास्तरीय कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने जांच में पता लगाया कि अजेंद्र पाल सिंह के दादा गुरुदत्ता मल भारत विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए थे। वर्ष 1975 में उनके पिता सरदार गुलाब सिंह आवास-विकास में जमीन लेकर रहने लगे। वर्ष 1978 में उन्होंने जमीन खरीदी, जिसमें उन्होंने अपनी जाति सिख लिखी थी। अजेंद्र पाल सिंह ने भी अपने इंटर कॉलेज के प्रवेश के दौरान अपनी जाति के कॉलम में हिंदू सिख ही लिखा था। आरोप है कि इसके बाद उन्होंने कूटरचना कर टीसी में अनुसूचित जाति कर प्रमाणपत्र जारी करा लिया था। जिसके बाद प्रमाणपत्र का फायदा लेकर काफी संपत्ति की।
सूत्रो के मुताबिक डीएम अखिलेश के अनुसार जिला स्तरीय कमेटी की जांच में सरदार अजेन्द्र पाल सिंह चावला और उनके परिवार के नौ सदस्यों के बने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। सभी प्रमाण पक्षों को खारिज कर दिया है। साथ ही दस के खिलाफ मुकदमा कायम करा दिया गया है।