स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: पश्चिम बर्दवान जिला के चेयरमैन और पूर्व विधायक उज्जवल चटर्जी इस बार अपने गढ़ से चुनाव ना लड़कर 74 नंबर वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं। उज्जवल तीन बार कुल्टी विधानसभा के विधायक और चार बार पार्षद भी रह चुके हैं। वे एक अरसे तक कुल्टी म्युनिसिपालिटी का चेयरमैन भी रहे। एक समय कुल्टी विधानसभा के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के वोटों पर उनका व्यापक असर था। जिसके कारण वाममोर्चा के शासनकाल में भी वे अपना जीत का परचम लहराते रहे लेकिन कुछ वर्षों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मतदाता उन से दूरी बना रहे हैं। खासकर बाउरी समुदाय और आदिवासी मतदाताओं में उनके प्रति नाराजगी है। इस बार वे जिस वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं उस वार्ड में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की मतदाताओं की संख्या 50% से अधिक है। 74 नंबर वार्ड में पटमोहना कोलियरी एवं मिठानी ग्राम और मिठानी कोलयरी का आधा भाग, रानीशायर बैजडीह ग्राम, पलास डंगा और लोको कॉलोनी आता है। इन क्षेत्रों में बाउरी और आदिवासी मतदाताओं की संख्या लगभग 3600 है। सूत्रों की माने तो अधिकांश बाउरी मतदाताओं का कहना है कि यह 20 साल तक जब कुल्टी म्युनिसिपलटी का चेयरमैन रहे तो इस वार्ड के लिए बाउरी समाज के उत्थान के लिए कुछ नहीं किया।
हालांकि पिछले चुनाव के परिणाम को देखा जाए तो पिछली बार यह वार्ड अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था। यहां से तृणमूल कांग्रेस के उत्तम बाउरी ने 1833 वोट लाकर जीत दर्ज की थी। वहीं कांग्रेस के नबो कुमार बाउरी द्वितीय स्थान पर थे। उनको 1432 वोट मिला था। जबकि बीजेपी के सब्यसाची मांजी को 1158 और वाममोर्चा के सुजीत बाउरी को 1313 मिला था। अब देखना है कि उज्जवल चटर्जी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में कितना कामयाब होते हैं। इस बार उनके खिलाफ वाममोर्चा के प्रियव्रत सरकार उर्फ मिठू दा भी चुनाव लड़ रहे हैं जो तीन बार पार्षद रह चुके हैं और कुल्टी विधानसभा में वाममोर्चा के हेविवेट नेता माने जाते हैं। जबकि पिछले चुनाव में द्वितीय स्थान पर रहे नबो कुमार बाउरी भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। वही बीजेपी ने संटू बनर्जी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
क्या एससी एसटी वोटर लगाएंगे उज्जवल चटर्जी की नैया पार
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