बप्पी लाहिड़ी का अंतिम संस्कार कल सुबह 10 बजे होगा
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स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: बप्पी लाहिड़ी का अंतिम संस्कार कल गुरुवार को सांताक्रूज के पवन हंस श्मशान घाट पर किया जाएगा। अंतिम क्रिया की विधि लाहिड़ी हाउस से सुबह 10 बजे शुरू होगी।
समुद्र में डूबी भगवान कृष्ण की द्वारका नगरी के दर्शन (Video)
महाभारत के 36 वर्ष बाद द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई थी। श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी के डूबने की मुख्य दो वजह मानी जाती है। पहला कारण: गांधारी का श्राप और दूसरा कारण: ऋषियों का श्राप।
Darshan of Lord Krishna's Dwarka nagri submerged in the sea
एएनएम न्यूज़, ब्यूरो : हिंदू धर्म के चार धामों में से एक द्वारका धाम को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहते हैं। द्वारका धाम गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में अरब सागर के समीप स्थित है। श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी के जल विलीन होने की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने जरासंध द्वारा प्रजा पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए समुद्र किनारे अपनी एक दिव्य नगरी बसायी और इस नगरी का नाम द्वारका रखा। माना जाता है कि महाभारत के 36 वर्ष बाद द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई थी। श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी के डूबने की मुख्य दो वजह मानी जाती है।
पहला कारण: गांधारी का श्राप
गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को महाभारत युद्ध का दोषी ठहराते हुए श्रीकृष्ण को श्राप दिया था कि अगर मैंने अपने आराध्य की सच्चे मन से आराधना की है और मैंने अपना पत्नीव्रता धर्म निभाया है तो जो जिस तरह मेरे कुल का नाश हुआ है, उसी तरह तुम्हारे कुल का नाश भी तुम्हारी आंखों के समक्ष होगा. कहते हैं इस श्राप की वजह से श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी पानी में समा गई।
दूसरा कारण: ऋषियों का श्राप
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महर्षि विश्वामित्र, देव ऋषि नारद, कण्व द्वारका गए, तब यादव वंश के कुछ लड़के ऋषियों के साथ उपहास करने के प्रयोजन से श्री कृष्ण के पुत्र सांब को स्त्री वेश में ले गए और ऋषियों से कहा कि यह स्त्री गर्भवती है. आप इस के गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में बताइए कि क्या जन्म लेगा? ऋषियों ने अपना अपमान होता देख श्राप दिया कि इसके गर्भ से मुसल उत्पन्न होगा और उस मुसल से समस्त यदुवंशी कुल का विनाश होगा। उसके पश्चात सभी यदुवंशी आपस में लड़-लड़कर मरने लगे थे। सभी यदुवंशियों की मृत्यु के बाद बलराम ने भी अपना शरीर त्याग दिया था और श्रीकृष्ण पर किसी शिकारी ने हिरण समझकर बाण चला दिया था, जिससे भगवान श्रीकृष्ण देवलोक चले गए।
उधर, जब पांडवों को द्वारका में हुई अनहोनी का पता चला तो अर्जुन तुरंत द्वारका गए और भगवान श्रीकृष्ण के बचे हुए परिजनों को अपने साथ इंद्रप्रस्थ लेकर चले गए और इसके बाद देखते ही देखते पूरी द्वारका नगरी रहस्यमयी तरीके से समुद्र में समा गई।