स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज: हिम यानी बर्फ से शिवलिंग बनने के कारण यहां शिवजी को बाबा बर्फानी कहा जाता है। बाबा बर्फानी की शिवलिंग आकार ले चुकी है। हर साल शिवलिंग अपने आप प्राकृतिक तौर से बनती है। 30 जून से बाबा के दर्शन करने के लिए अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है और यह यात्रा 11 अगस्त तक चलेगी। बता दें कि अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय पर्वत की गोद में मौजूद है। यहां एक पवित्र गुफा है जिसमें हिम शिवलिंग के रूप में शिव जी विराजमान होते हैं। इस स्थल को बेहद पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि जिस गुफा में हर साल बाबा बर्फानी विराजमान होते हैं, उस गुफा की खोज एक मुस्लिम ने की थी।
एक बूटा मलिक नामक एक मुस्लिम गड़रिया ने 1850 में अमरनाथ की गुफा की खोज की थी। एक दिन अपनी भेड़ को चराते-चराते बहुत दूर निकल गया. ऊपर पहाड़ पर उसकी भेंट एक साधु से हुई। कहा जाता है कि बूटा विनम्र और दयालु स्वभाव से प्रसन्न होकर उस साधु ने बूटा को एक कोयले से भरा पात्र दिया। बूटा ने जब घर आकर उस कांगड़ी को देखा तो उस पात्र में कोयले की जगह सोना भरा हुआ था। बूटा ये देखकर बेहद खुश हुआ और उस साधु को धन्यवाद कहने के लिए दोबारा उस स्थान पर गया। वहां जाकर देखा तो साधु तो मौजूद नहीं थे, लेकिन एक गुफा जरूर वहां थी। बूटा द्वारा गुफा को ढूंढने की बात में कितनी सच्चाई है, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि 19वीं शताब्दी के किसी भी ऐतिहासिक दस्तावेज में इस तरह का जिक्र नहीं किया गया है। जबकि कई जगहों पर इस गड़रिए का नाम और खोज की तारीख भी अलग अलग दी गई है। गड़रिए का नाम अदम मलिक, अकरम मलिक और बूटा मलिक बताया गया है। साथ ही अमरनाथ गुफा की खोज का समय 16 शताब्दी से 19वीं शताब्दी के बीच मिलता है।