स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : गुरु पूर्णिमा के मौके पर वो लोग परेशान होते हैं जिनके कोई गुरु नहीं हैं कि वे किसकी पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसे लोगों की चिंता का समाधान तुलसी बाबा ने कर दिया है, उन्होंने हनुमान चालीसा में लिखा है ... जै जै जै हनुमान गोसाई कृपा करहु गुरुदेव की नाई गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित मानस और हनुमान चालीसा के प्रारंभ में ही गुरु वंदना की। उन्होंने बताया कि अगर किसी का गुरु नहीं है तो वह हनुमान जी को अपना गुरु बना सकता है। ईश्वर का साक्षात्कार बिना गुरुकृपा के होना कठिन है। हनुमान जी के सामने पवित्र भाव रखते हुए उन्हें अपना गुरु बनाया जा सकता है। एकमात्र हनुमान जी ही हैं जिनकी कृपा हम गुरु की तरह प्राप्त कर सकते हैं।
तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा का शुभारंभ ही गुरु के चरणों में नमन करते हुए किया है। श्री गुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि। बुद्धि हीन तनु जानके, सुमिरौ पवन कुमार बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।तुलसी बाबा ने हनुमान चालीसा में सभी को बजरंगबली को अपना गुरु बनाने को कहा है।